THE BEST SIDE OF SHIV CHAISA

The best Side of Shiv chaisa

The best Side of Shiv chaisa

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जो यह पाठ करे मन लाई। ता पर होत है शम्भु सहाई॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

O Superb Lord, consort of Parvati That you are most merciful . You usually bless the bad and pious devotees. Your beautiful form is adorned While using the moon with your forehead and on your ears are earrings of snakes' hood.

अर्थ: हे प्रभु वैसे तो जगत के नातों में माता-पिता, भाई-बंधु, नाते-रिश्तेदार सब होते हैं, लेकिन विपदा पड़ने पर कोई भी साथ नहीं देता। हे स्वामी, बस आपकी ही आस है, आकर मेरे संकटों को हर लो। आपने सदा निर्धन को धन दिया है, जिसने जैसा फल चाहा, आपकी भक्ति से वैसा फल प्राप्त किया है। हम आपकी स्तुति, आपकी प्रार्थना किस विधि Shiv chaisa से करें अर्थात हम अज्ञानी है प्रभु, अगर आपकी पूजा करने में कोई चूक हुई हो तो हे स्वामी, हमें क्षमा कर देना।

लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥ आप जलंधर असुर संहारा ।

जरत सुरासुर भए विहाला ॥ कीन्ही दया तहं करी सहाई ।

कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥ किया तपहिं भागीरथ भारी ।

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥ राम दूत अतुलित बल धामा

कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

पाठ पूरा हो जाने पर कलश का जल सारे घर में छिड़क दें।

येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥ लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।

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